राजू और डेविड दोनों का जन्मदिन एक साथ पड़ता है | हाल ही में यह शुभ अवसर आया| दोनों कॉलेज पहुँचे | क्लास में पहुँचने पर साथियों ने तालियाँ बजाकर दोनों का स्वागत किया | राजू ने मुस्कुराकर सभी का अभिवादन किया और शुक्रिया अदा किया लेकिन डेविड का चेहरा उतरा हुआ था। जन्मदिन के मौके पर यह उदासी देख छात्र व्यग्र हो उठे | कुछ ने उससे कारण पूछने की कोशिश की। जब तक वह कुछ बोलता, राजू ने अपने बैग से टाफियाँ निकालीं और दोस्तों में बाँट दी | राजू ने डेविड को भी टॉफी देकर जन्मदिन की मुबारकवाद दी और दुःखी होने का कारण पूछा |
डेविड ने बताया कि उसने घर में जन्मदिन की पार्टी के लिए तीन हजार रुपए माँगे लेकिन मम्मी-पापा ने उसे सिर्फ पाँच सौ दिए। इसलिए मूड बहुत ख़राब है | क्या जवाब दूँगा मैं दोस्तों को | आजकल पाँच सौ रुपए में भला होता क्या है? राजू ने कहा कि तुम भाग्यशाली हो कि तुम्हें पाँच सौ रूपए मिले | मुझसे पूछो, मेरे पास तो सौ रूपए भी नहीं थे सुबह | चिंतित था तभी आलमारी में 50 रूपए की एक नोट मिल गई | फिर मैंने अपने गांव के भैया से 50 रूपए और माँगे| सौर रूपए लेकर मैं दुकान गया | पूरी क्लास के लिए 80 रुपए की टॉफी खरीदकर तुम्हारे सामने ही बाँट दिया |
20 रुपए फिर भी मेरे पास बचे हुए हैं। और देखो, मेरी टॉफी सभी ने ख़ुशी-ख़ुशी खाया और बधाई भी दी | कहने का आशय यह है कि मेरा काम सौ रूपए में चल गया और तुम्हारा पाँच सौ में भी नहीं चल पा रहा है | यह तुम्हारी सोच की समस्या है। ध्यान रखना, जिस देश में हम रहते हैं यहाँ आज भी करोडो लोग भूखे सोते हैं और तुम्हारे पास पाँच सौ रूपए हैं | इस पाँच सौ से तुम सौ बच्चों में खुशियाँ बाँट सकते हो | इस पाँच सौ में तुम कम से कम पाँच वक्त का भोजन कर सकते हो | इसी पांच सौ में तुम दस लोगों को आज भी भरपेट भोजन करा सकते हो। चलो मेरे साथ अभी बाजार | हम लोग पूरी क्लास के लिए पाँच रूपए वाली टॉफी लेकर आते हैं | दो सौ में यह काम पूरा हो जाएगा| तीन सौ तुम्हारे पास फिर भी बचेगा| इससे करीबी दोस्तों को समोसे खिला देना | डेविड ने हामी भरी और टॉफी लाकर पूरी क्लास में साथ जन्मदिन मनाया। सब खुशी से झूम उठे।
फिर पूरी क्लास के सामने डेविड ने यह भी स्वीकार किया कि अपनी सोच की वजह से वह परेशान था और राजू की सोच से वह भी खुश है और पूरी क्लास के सभी साथी भी। अब हम जीवन में भी इसे अपनाएंगे। मेरे पास जो है, पहले उस पर गर्व करेंगे। खुश होंगे। ऐसा करने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हम खुश रहेंगे। खुश रहेंगे तो जो भी काम करेंगे, वह बेहतरीन होगा, चाहे पढ़ाई हो या कोई और काम। जब बेहतरीन काम होगा तो परिणाम भी अच्छे आएँगे। इस तरह जीवन में खुशहाली भी आएगी। यह सब बोलते हुए डेविड ने राजू को गले लगा लिया और पूरी क्लास के सामने ही फूट फूट कर रोने लगा। बोला-मैंने मम्मी पापा को गलत समझा। उन्होंने तो मुझे बहुत पैसे दिए थे। तीन सौ मेरे पास अभी भी बचे हुए हैं।
शाम को इसे मैं लौटा दूँगा। उन्हें बहुत खुशी होगी। पूरी क्लास की आँखें नम हो गईं। सभी ने डेविड को बधाई दी लेकिन राजू की भूरि-भूरि प्रशंसा की। डेविड की वजह से कई साथियों की आँखें खुल गई थीं। शाम को जब पूरे किस्से को बयां करते हुए डेविड ने मम्मी-पापा को पैसे लौटाए तो वे भी अवाक रह गए। उन्होंने राजू से मिलने की इच्छा जताई। क्योंकि राजू ने वह काम कर दिया जो यह दंपत्ति 20 वर्ष में न कर पाया। अब डेविड के सोचने-समझने-नज़रिए में काफी फर्क आ गया। नकारात्मक चीजों की तरफ अब उसका ध्यान नहीं जा रहा। वह देश, समाज के बारे में सोचने लगा है।
6 Comments
Rishab Tyagi
Very impressive truth…. I am highly thankful for spreading these kind of positive response among the society.
Rahul Sahu
Nice
Nazish Laeiq
Wonderful piece of story
Highly motivating as well lots to learn.
Thanks for writing this sir.
Dinesh Pathak
thank you very much, dear Rishabh. your feedback is valuable for us
Dinesh Pathak
thank you very much dear Rahul
Dinesh Pathak
thanks a ton, dear Nazish, your comment is valuable for me as well as university